Monday, November 5, 2012


प्रेम, धन और सफलता

एक दिन एक औरत अपने घर के बाहर आई और उसने तीन संतों को अपने घर के सामने देखा। वह उन्हें जानती नहीं थी। औरत ने कहा – “कृपया भीतर आइये और भोजन करिए।”
संत बोले – “क्या तुम्हारे पति घर पर हैं?”
औरत ने कहा – “नहीं, वे अभी बाहर गए हैं।”
संत बोले – “हम तभी भीतर आयेंगे जब वह घर पर हों।”
शाम को उस औरत का पति घर आया और औरत ने उसे यह सब बताया।
औरत के पति ने कहा – “जाओ और उनसे कहो कि मैं घर आ गया हूँ और उनको आदर सहित बुलाओ।”
औरत बाहर गई और उनको भीतर आने के लिए कहा।
संत बोले – “हम सब किसी भी घर में एक साथ नहीं जाते।”
“पर क्यों?” – औरत ने पूछा।
उनमें से एक संत ने कहा – “मेरा नाम धन है” – फ़िर दूसरे संतों की ओर इशारा कर के कहा – “इन दोनों के नाम सफलता और प्रेम हैं। हममें से कोई एक ही भीतर आ सकता है। आप घर के अन्य सदस्यों से मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे निमंत्रित करना है।”
औरत ने भीतर जाकर अपने पति को यह सब बताया। उसका पति बहुत प्रसन्न हो गया और बोला – “यदि ऐसा है तो हमें धन को आमंत्रित करना चाहिए। हमारा घर खुशियों से भर जाएगा।”
लेकिन उसकी पत्नी ने कहा – “मुझे लगता है कि हमें सफलता को आमंत्रित करना चाहिए।”
उनकी बेटी दूसरे कमरे से यह सब सुन रही थी। वह उनके पास आई और बोली – “मुझे लगता है कि हमें प्रेम को आमंत्रित करना चाहिए। प्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं।”
“तुम ठीक कहती हो, हमें प्रेम को ही बुलाना चाहिए” – उसके माता-पिता ने कहा।
औरत घर के बाहर गई और उसने संतों से पूछा – “आप में से जिनका नाम प्रेम है वे कृपया घर में प्रवेश कर भोजन गृहण करें।”
प्रेम घर की ओर बढ़ चले। बाकी के दो संत भी उनके पीछे चलने लगे।
औरत ने आश्चर्य से उन दोनों से पूछा – “मैंने तो सिर्फ़ प्रेम को आमंत्रित किया था। आप लोग भीतर क्यों जा रहे हैं?”
उनमें से एक ने कहा – “यदि आपने धन और सफलता में से किसी एक को आमंत्रित किया होता तो केवल वही भीतर जाता। आपने प्रेम को आमंत्रित किया है। प्रेम कभी अकेला नहीं जाता। प्रेम जहाँ-जहाँ जाता है, धन और सफलता उसके पीछे जाते हैं।






Friday, August 24, 2012

shirdi ke data

           
  




                                                         SAI RAM
                                            SAI SHYAM
                                         SAI BHAGWAN
                            SIRDI KE DATA SABSE MAHAN 

Monday, August 13, 2012

साईंवचन



मेरी दृष्टि हमेशा उनपर रहती है जो मुझे प्रेम करते हैं.

Tuesday, July 24, 2012

sai jyoti trust


हम है तेरे बालक साईं राम

करना हमारी रक्षा मेरे भगवान

Tuesday, July 17, 2012

जब जब तुम्हे पुकारा



जब जब तुम्हे पुकारा
मुझे देख मुस्कुराये
मेरे साईं चले आये
जब कहर की आंधी आई
और कदम डगमगाए
मेरे साईं चले आये
मेरे बाबा चले आये

Tuesday, July 10, 2012

jai sai ram



                    दुख दे चाहे सुख दे दाता                           
                                                                                  
                    टूट नहीं सकता अपना नाता                     














Saturday, July 7, 2012











    साई की मूरत बड़ी न्यारी है

                        देख लो एक बार साई मुझको


    आपके देखने से मेरी भी किस्मत


                        चमकने वाली है. ओम साई राम

Wednesday, June 13, 2012

ॐ साईं राम ॐ



कभी साई के दर पर जा कर तो देख साई खुशिओ से झोली ना भर दे तो

कहना कभी साई के लिए दीप जला कर तो देख साई तेरे दुख ना जला दे 

तो कहना.

Saturday, June 9, 2012

ॐ श्री साईं नाथाय नमः





Give Food To The Hungry,Water To The Thirsty,    And Clothes To The Naked.
                                                         
                    Then God Will Be Pleased. 

Wednesday, June 6, 2012

ॐ श्री साईं नाथाय नमः

मेरी दृष्टि हमेशा उनपर रहती है जो मुझे प्रेम करते हैं







 मैं अपने लोगों के बारे में दिन रात सोचता हूँ. मैं बार-बार उनके नाम लेता हूँ




Saturday, June 2, 2012

Wednesday, May 30, 2012

साई वचन


जब मैं हूँ तो क्या डरना
मुझपर  अपना  बोझ डाल दो सह  लूँगा मैं



श्री  सच्चिदानन्द सद्गुरु साई नाथ महाराज की  जय

श्री  सच्चिदानन्द सद्गुरु साई नाथ महाराज की  जय





Tuesday, May 29, 2012


sabke ke sai baba da darbaar 


 Where contentiousness prevails, ignorance and Maya abound. There is no thought of deliverance and the mind is continually engaged in malicious, misconceived speculation. Such one is not worthy of self-knowledge. He is engulfed by ignorance alone. He can enjoy happiness neither on earth nor in heaven. Everywhere and at all times he is unhappy.



Friday, May 25, 2012


video of last night program at prashant vihar , rohini



                                         





Wednesday, May 23, 2012


श्री सदगुरु साइनाथ के ग्यारह वचन 

शिर्डी की पावन भूमि पर पाँव रखेगा जो भी कोई ।
तत्क्षण मिट जाएंगे कष्ट उसके, हो जो भी कोई || १ ||

चढे़गा जो मेरी समाधी की सीढी ।
मिटेगा उसका दुःख और चिंताएँ सारी || २ ||

गया छोड़ इस देह को फिर भी ।
दौड़ा आऊंगा निजभक्त हेतु || ३ ||

मनोकामना पूर्ण करे यह मेरी समाधि ।
रखो इस पर विश्वास और द्रढ़ बुद्धि || ४ ||

नित्य हूँ जीवित मैं, जानो यहाँ सत्य ।
कर लो प्रचीति, स्वंय के अनुभव से || ५ ||

मेरी शरण मैं आके कोई गया हो खाली ।
ऐसा मुझे बता दे, कोई भी एक सवाली || ६ ||

भजेगा मुझको जो भी जिस भावः से ।
पायेगा मुजको वह उसी भाव से || ७ ||

तुम्हारा सब भार उठाँऊंगा मैं सर्वथा ।
नहीं इसमें संशय, यह वचन है मेरा || ८ ||

मिलेगी सहाय यहाँ सबको ही जानो ।
मिलेगा उसको वही, जो भी मांगो || ९ ||

हो गया जो तन मन वचन से मेरा ।
ऋणी हूँ में उसका सदा-सर्वथा ही || १० ||

कहे साई वही हुआ धन्य-धन्य ।
हुआ जो मेरे चरणों से अनन्य || ११ ||











Rupesh Chopra's Nazafgarh Temple Program Video on 10th may 2012. 




Sai Jyoti Trust's Member Rupesh Chopra The Sai Singer.
His video of  Mayur Vihar Program.   


Tuesday, May 22, 2012

OUR LOGO

                               latest new logo 



which one u like 

Monday, May 21, 2012

Saturday, May 19, 2012




chalo aj mil kr sare jahan ko "SAI" K nam se jagmaga de "OM SAI" , "SHRI SAI"
"JAI JAI SAI " , "SADGURU SAI" aj is  ko itna felao,jitna 

Friday, May 18, 2012


jai sai ram 

अनंता तुला तें कसें रे ःतवावें । अनंता तुला तें कसें रे नमावें ।
अनंत मुखांचा िशणे शेष गातां । नमःकार साष्टांग ौी साईनाथा ।। 1 ।।

ःमरावें मनीं त्वत्पदां िनत्य भावें । उरावें तरी भिक्तसाठीं ःवभावें ।।
तरावें जगा तारुनी मायताता । नमःकार साष्टांग ौी साईनाथा ।। 2 ।।

वसे जो सदा दावया संतलीला । िदसे अज्ञ लोकांपरी जो जनांला ।।
परी अंतरीं ज्ञान कवल्यदाता । नमःकार साष्टांग ौी साईनाथा ।। 3 ।।

बरा लाधला जन्म हा मानवाचा । नरा साथर्का साधनीभूत साचा ।।
धरुं साइूेमा गळाया अहं ता । नमःकार ।। 4 ।।

धरावें करीं सान अल्पज्ञ बाला । करावें अम्हां धन्य चुंबोिन गाला ।।
मुखीं घाल ूेमें करा मास आतां । नमःकार ।। 5 ।।

सुरादीक ज्यांच्या पदा वंिदताती । शुकादीक जयांतें समान्तव दे ती ।।
ूयागािद तीथेर्ं पदीं नॆ होतां ।। नमःकार ।। 6 ।।

तुझ्या ज्यां पदा पाहतां गोपबाली । सदा रं गली िचत्वःवरुपीं िमळाली ।।
करी रास बीडा सवें कृ ंणनाथा । नमःकार ।। 7 ।।

तुला मागतों मागणें एक घावें । करा जोिड़तों दीन अत्यंत भावें ।।
भवीं मोहनीराज हा तािर आतां । नमःकार साष्टांग ौी साइनाथा ।। 8 ।।






how beautifull scene sai baba